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PRABHAKAR KANDYA
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Now you are going to enter the world of suspence........
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16 August, 2020
ज़िन्दगी कुछ कुछ ख़फ़ा है..!
कभी कभी लगता है क़ि....
ज़िन्दगी कुछ कुछ ख़फ़ा है..!
फ़िर ये सोच लेते हैं क़ि..
अजी छोड़िये भी........
ये कौन सा पहली दफ़ा है..!!
मजबूरी
घटाएं आ लगीं हैं आसमां पे......और दिन सुहाने हैं।
हमारी मजबूरी तो देखिये.....हमें बारिश में भी काग़ज़ कमाने हैं....
सावन
पतझड़ दिया था वक़्त ने सौगात में मुझे...
मैंने वक़्त की जेब से सावन चुरा लिया...!!
लिख नहीं पाता
कभी शब्दो में
तलाश न करना वज़ूद मेरा
मैं उतना लिख नहीं पाता
जितना महसूस करता हूँ....
ज़िंदगी
बड़े होंगे तो
ज़िंदगी अपने हिसाब से जियेंगे...!
बचपन के इस ख्याल पर,
अब रोज हंसी आती है...!!
मेरे ही हाथों पर मेरी तक़दीर लिखी है...
और मेरी ही तक़दीर पर मेरा बस नहीं चलता...
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